वे जानते हैं नवसाम्राज्यवाद की दलाली के लिए जैसे भी हो राजनीति पर अपना कब्जा रखना अनिवार्य है-वंश से, परिवार से, जाति से, धर्म से, इलाके से, धन से, बल से, झूठ से, छल से, फरेब से।
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यदि हम अंग्रेजो के जैसे आक्रांता हो और ताकत्र के बल पर ही किसी जगह कब्जा रखना चाहते हो तो हम फ़ांसी जैसे तरीको का उपयोग करते है लेकिन कश्मीर जैसे भारत के हिस्सो मे जो सांस्तिकृतिक और भौगोलिक तौर पर हमारा अभिन्न अंग है ऐसे मामलो मे हमे वहा के लोगो को साथ मिलाने की जरूरत होती है।
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यदि हम अंग्रेजो के जैसे आक्रांता हो और ताकत्र के बल पर ही किसी जगह कब्जा रखना चाहते हो तो हम फ़ांसी जैसे तरीको का उपयोग करते है लेकिन कश्मीर जैसे भारत के हिस्सो मे जो सांस्तिकृतिक और भौगोलिक तौर पर हमारा अभिन्न अंग है ऐसे मामलो मे हमे वहा के लोगो को साथ मिलाने की जरूरत होती है।
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महात्मा गाँधी के मतानुसार-कुविचार मात्र हिंसा है, उतावलापन हिंसा है, मिथ्याभाषण हिंसा है, द्वेष हिंसा है, किसी का बुरा चाहना हिंसा है, जिसकी दुनिया को जरूरत है उस पर कब्जा रखना भी हिंसा है, इसके अतिरिक्त किसी को मारना, कटुवचन बोलना, दिल दुःखाना, कष्ट देना तो हिंसा है ही इन सबसे बचना अहिंसा पालन कहा जायेगा ।